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चटका ब्रूते चूँ चूॅं चूँ : संस्कृत बालगीत ।
SANSKRITJAGAT 21/05/2021 | 07:49 PM
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चटका ब्रूते चूँ चूँ चूँ
वदति कुक्कुटः कुकडूँ कूॅं ।।
गुञ्जति भृङ्गः गुं गुं गुं
वदति कपोतः गुटरूँ गूँ ।।
शिखिनः वाणी केका केका
टर्र–टर्र कुरुते मण्डूकः ।।
बालः विहसति हा हा हा
काकः प्रलपति का का का ।।
वदति वानरः खौं खौं खौं
भषति कुक्कुरो भौं भौं भौं ।।
वदति कोकिलः कुहू कुहू
हर्षं यामो मुहुः मुहुः ।।
शब्दार्थ :
चटका - चिड़िया । कुक्कुटः - मुर्गा । भृङ्गः - भौंरा । गुञ्जति - गुंजार करता है । कपोतः - कबूतर । शिखिनः - मोर की । मण्डूकः - मेंढक । बालः - बालक । विहसति - हँसता है । काकः - कौवा । प्रलपति - चिल्लाता है । वानरः - बन्दर । कुक्कुरः - कुत्ता । भषति - बोलता है । कोकिलः - कोयल । हर्षं यामो - खुश होते हैं । मुहुः-मुहुः - बारबार ।
ये कविता उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग की कक्षा चार की पुस्तक से गृहीत है । इसमें पशु–पक्षियों की बोली को लयबद्ध किया गया है ।
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सुझाव व टिप्पणियाँ
Sheetal
21/08/2021 को 06:54 PM
चटका ब्रूते चूँ चूँ चूँ । वदति कुक्कुटः कुकहूँ ।।। वदति कोकिलः कुहू कुहू । हर्षयामः मुहुः मुहुः ।। A शिखिनः वाणी केका केका । टर्र - टर्र कुरुते मण्डूकः ।। बालः विहसति हा हा हा । काकः प्रलपति का का का ।। करोति कुक्कुरः भौं भौं भौं । वदति वानरः खौं खौं खौं ।।
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