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माहेश्वर सूत्र

  SANSKRITJAGAT     13/02/2021 | 02:15 PM   0

माहेश्वर सूत्र पाणिनीय व्याकरण के मेरुदण्ड हैं । इनकी संख्या १४ है । ये चौदह माहेश्वर सूत्र निम्न हैं :

१. अइउण् ।। २. ऋलृक् ।। ३. एओङ् ।। ४. ऐऔच् ।। ५. हयवरट् ।। ६.ण् ।। ७. ञमङणनम् ।।
८. झभञ् ।। ९. घढधष् ।। १०. जबगडदश् ।। ११. खफछठथचटतव् ।। १२. कपय् ।। १३. शषसर् ।। १४.ल् ।।

ऐसी मान्यता है कि भगवान् भोलेनाथ महादेव की तपस्या करके महर्षि पाणिनि ने उनके डमरूनाद से इन सूत्रों को प्राप्त किया था । इस सन्दर्भ में नन्दिकेश्वरकाशिका का निम्न श्लोक प्रसिद्ध है :

नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम् ।

उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम् ॥


भगवान् महादेव के डमरूनाद से उत्पन्न होने के कारण ही इन्हें माहेश्वरसूत्र अथवा शिवसूत्र कहते हैं । इनसे प्रत्याहारों का निर्माण होने के कारण ही इन्हें प्रत्याहारसूत्र भी कहते हैं । इन सभी चौदह सूत्रों के अन्तिम (हल्) वर्ण इत् कहे जाते हैं । प्रत्याहार की सिद्धि के अनन्तर ये लुप्त हो जाते हैं अर्थात् इनका ग्रहण प्रत्याहार के अन्तर्गत आने वाले वर्णों में नहीं होता । ये बस प्रत्याहार का निर्माण करने के उपरान्त लुप्त हो जाते हैं । उदाहरणार्थ – अच् प्रत्याहार में ण्‚ क्‚ ङ् और च् वर्ण लुप्त हो जाते हैं और केवल अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ वर्णों का ही ग्रहण होता है ।

क्रमशः...


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