आचार्य पाणिनि के जीवन के विषय में प्रामाणिक सामग्री का अत्यन्त अभाव है । विभिन्न ग्रन्थाों में यत्किंचित प्राप्त विवरणों के आधार पर उनके विषय में कुछ तथ्य निम्नलिखित हैं
नाम – पाणिनि ।
त्रिकाण्डशेष में पुरुषोत्तमदेव ने पाणिनि के छः पर्याय शब्द दिये हैं –
१.
पाणिन‚ २. पाणिनि‚ ३. दाक्षीपुत्र‚ ४. शालंकि‚ ५. शालातुरीय‚ ६. आहिक ।
पाणिनिस्त्वाहिको दाक्षीपुत्रः शालङ्किपाणिनौ । शालातुरीयः.... (त्रिकाण्डशेष) ।
समय –
२९०० वि.पू. (२८५० ई.पू.) – युधिष्ठिर मीमांसक
७०० ई.पू. – ४०० ई.पू. – विभिन्न प्रचलित मत ।
ग्राम –
शलातुर जिसकी वर्तमान स्थिति पाकिस्तान के पेशावर में अटक के समीप है । इसका वर्तमान नाम ‘लाहुर‘ है ।
शलातुरो नाम ग्रामः‚ सोऽभिजनोऽस्यास्तीति शालातुरीयः तत्रभवान् पाणिनिः (गणरत्नमहोदधि) ।
पिता –
पाणिन⁄पणिन् (पणिन)
पणिनोऽपत्यमित्यण् पाणिनः । पाणिनस्यापत्यं युवेति इञ् पाणिनिः । (कैयट‚ प्रदीप १.१.६३)
पणिनः मुनिः । पणिनस्य पुत्रः पाणिनिः – श्री युधिष्ठिर मीमांसक ।
माता – दाक्षी
अनुज –
पिंगल
भगवता पिंगलेन पाणिन्यनुजेन... (षड्गुरुशिष्य की वेदार्थदीपिका) ।
मामा – व्याडि (दाक्षि या दाक्षायण)
गुरु – वर्ष
शिष्य – कौत्स
रचनाएँ – अष्टाध्यायी‚ धातुपाठ‚ गणपाठ‚ उणादिसूत्र‚ लिंगानुशासन‚ पाणिनीय शिक्षा‚ द्विरूपकोश‚ जाम्बवतीविजय (पातालविजय) महाकाव्य ।
इनमें अन्तिम को छोड़कर शेष सभी व्याकरण से ही सम्बन्धित व अष्टाध्यायी के पूरक ग्रन्थ हैं ।
पंचतन्त्र के अनुसार पाणिनि की मृत्यु त्रयोदशी तिथि को सिंह के आक्रमण से हुई थी अतः आज भी वैयाकरण इस तिथि को व्याकरण का अध्ययन–अध्यापन नहीं करते हैं ।
सिंहो व्याकरणस्य कर्तुरहरत् प्राणान् प्रियान् पाणिनेः (पंचतन्त्र‚ मित्रसंप्राप्ति, ३६) ।