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मङ्गलाचरण – लघुसिद्धान्त कौमुदी

  SANSKRITJAGAT     14/02/2021 | 08:12 PM   0

नत्वा सरस्वतीं देवीं शुद्धां गुण्यां करोम्यहम्
पाणिनीयप्रवेशाय लघुसिद्धान्तकौमुदीम् ।।

अन्वय : अहं शुद्धां गुण्यां सरस्वतीं देवीं नत्वा पाणिनीयप्रवेशाय लघुसिद्धान्तकौमुदीं करोमि ।

अर्थ – मैं (वरदराज) शुद्ध और उत्तम गुणों से युक्त सरस्वती देवी को प्रणाम कर के महर्षि पाणिनि रचित व्याकरणशास्त्र (अष्टाध्यायी) में प्रवेश के लिये 'लघुसिद्धान्त कौमुदी' ग्रन्थ का निर्माण करता हूॅं ।


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