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मङ्गलाचरण – सिद्धान्त कौमुदी
SANSKRITJAGAT 22/02/2021 | 09:19 PM
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मुनित्रयं नमस्कृत्य तदुक्तीः परिभाव्य च ।
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदीयं विरच्यते ।।
अन्वय : मुनित्रयं नमस्कृत्य तदुक्तीः परिभाव्य च इयं वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी विरच्यते ।
अर्थ : तीनों मुनियों (पाणिनि‚ कात्यायन‚ पतञ्जलि) को नमस्कार करके और उनकी सदुक्तियों का विचार‚ चिन्तन करके इस वैयाकरणसिद्धान्त कौमुदी नामक ग्रन्थ की (मुझ भट्टोजिदीक्षित के द्वारा) रचना की जा रही है ।
इति...
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