मुखपृष्‍ठ > वैदिक साहित्य |

वेद की रक्षा के उपाय

  SANSKRITJAGAT     09/02/2021 | 08:21 PM   0

वेद मन्त्रों के शुद्ध स्वरूप को यथावत् रूप में बनाये रखने के लिए तथा उनके उच्चारण में तनिक भी अन्तर न आने देने के लिए वैदिकों ने बहुविध व्यवस्था की थी । ये उपाय पाठमूलक थे । इन्हें 'विकृति' कहा जाता है । इनके कारण मन्त्रों में कहीं भी पाठान्तर या पदच्युति नहीं हुई है । आठ विकृतियों का एक कारिका में इस प्रकार उल्लेख है :

जटा माला शिखा रेखा ध्वजो दण्डो रथो घनः
अष्टौ विकृतयः प्रोक्ताः क्रमपूर्वा महर्षिभिः ।।

इसके अनुसार जटा‚ माला‚ शिखा‚ रेखा‚ ध्वज‚ दण्ड‚ रथ और घनपाठ संज्ञक आठ विकृतिपाठ हैं । इनके अतिरिक्त तीन पाठ और हैं– संहितापाठ‚ पदपाठ तथा क्रमपाठ । संहितापाठ में मन्त्र अपने मूलरूप में रहता है । पदपाठ में पदों को अलग–अलग असंहित रूप में (संधि रहित रूप में) पढ़ा जाता है । संहितापाठ से पदपाठ में मन्त्र को अन्तरित करने पर स्वरों में भी कुछ परिवर्तन हो जाता है । पदपाठ के विशेष नियमों में इनका उल्लेख किया जाएगा । क्रमपाठ में क्रम से दो पदों का पाठ होता है । इनमें से कुछ पाठों और विकृतियों का यहाँ निदर्शन प्रस्तुत है ।
  1. संहितापाठ – ओषधयः संवदन्ते सोमेन सह राज्ञा ।। ऋग्वेद १०.९७.२ ।।
  2. पदपाठ – ओषधयः । सम् । वदन्ते । सोमेन । सह । राज्ञा ।
  3. क्रमपाठ – ओषधयः‚ संवदन्ते‚ वदन्ते सोमेन‚ सोमेन सहराज्ञा‚ राज्ञेति राज्ञा ।
  4. जटापाठ – ओषधयः सम् सम् ओषधयः‚ ओषधयः सम्‚ संवदन्ते‚ वदन्ते सम्‚ संवदन्ते ।
  5. शिक्षापाठ – ओषधयः सं‚ समोषधयः‚ ओषधयः संवदन्ते । संवदन्ते‚ वदन्ते सं‚ संवदन्ते‚ सोमेन ।
  6. घनपाठ – ओषधयः सं‚ समोषधयः ओषधयः संवदन्ते‚ वदन्ते समोषधय ओषधयः संवदन्ते‚ संवदन्ते वदन्ते सं संवदन्तेवदन्ते सं संवदन्ते सोमेन‚ सोमेन वदन्ते ।
इनमें घनपाठ सबसे जटिल है‚ जिसमें प्रथम पद पांच बार‚ द्वितीय पद दस बार तथा तृतीय व चतुर्थ पद तेरह–तेरह बार आते हैं । परम्परागत वैदिकों ने इन पाठों का अभ्यास कर अद्‍यावधि वेदमन्त्रों को अविकल रूप में सुरक्षित रखा है‚ जिसकी जितनी भी सराहना की जाये‚ कम है । यही कारण है कि वेदों की अक्षरसम्पदा में न तो रत्ती भर प्रक्षेप किया जा सका और न परिवर्तन ही । वह आज तक प्रायः यथावत् ही है ।

सविनय सादर गृहीत :
वैदिक साहित्य और संस्कृति का स्वरूप – प्रो. ओमप्रकाश पाण्डेय


क्रमशः....

मिलते जुलते लेख
वेद का कालनिर्णय
वेदों की अपौरुषेयता : पक्ष व विपक्ष
वेदों का आविर्भाव

सुझाव व टिप्‍पणियाँ

प्रश्न करें या सलाह दें