वैदिक साहित्यपरम्परा में संहिताओं के बाद ब्राह्मण ग्रन्थों का ही स्थान है । ये वेद के व्याख्याभाग हैं तथा प्रायः वेदों के सभी विषयों का इसमें विस्तार से वर्णन किया गया है । सायणाचार्य के अनुसार वैदिक साहित्य में जो मन्त्र भाग के अतिरिक्त है वह ब्राह्मण भाग ही है । ब्राह्मणों में मन्त्रों‚ कर्मों तथा विनियोगों की व्याख्या है ।
प्रायः सभी वेदों के ब्राह्मण उपलब्ध होते हैं । प्रमुख ब्राह्मणग्रन्थ निम्न हैं –
ऋग्वेदसंहिता - ऐतरेय ब्राह्मण, शांखायन ब्राह्मण (कौषीतकि
ब्राह्मण)
यजुर्वेदसंहिता - शतपथ (शुक्लयजुर्वेद की माध्यन्दिन व काण्व दोनों ही शाखाओं पर उपलब्ध),
तैत्तिरीय, मैत्रायणी, कठ, कपिष्ठल (कृष्णयजुर्वेदीय)
सामवेदसंहिता - प्रौढ (पंचविंश), षडविंश, सामविधान, आर्षेय, देवताध्याय,
उपनिषद् (मन्त्र/छान्दोग्य), संहितोपनिषद्, वंश, जैमिनीय (तवलकार) ।
अथर्ववेदसंहिता - गोपथब्राह्मण ।