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वैदिक संहिताएँ
SANSKRITJAGAT 02/01/2021 | 01:04 AM
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वैदिक वाङ्मय अत्यन्त विशाल है । यह जितना ही प्राचीन है उतना ही रहस्यमय भी । इस विशाल वाङ्मय को चार भागों में बाँटा गया है । संहिता‚ ब्राह्मण‚ आरण्यक तथा उपनिषद् ।
इनमें से संहिताभाग ही मूल वेद भाग कहा जाता है ।
संहिताएँ चार हैं –
- ऋग्वेद संहिता
- यजुर्वेद संहिता
- सामवेद संहिता
- अथर्ववेद संहिता
ऋग्वेद ऋचाप्रधान वेद है । ऋचाएँ वे मन्त्र हैं जिनसे देवों की अर्चना की जाती है । ऋच्यते स्तूयते अनया इति ऋचा ।
यजुर्वेद में यजुषों की प्रधानता है । यजुष् गद्य को कहते हैं । अनियताक्षरावसानो यजुः अर्थात् यजुष् में अक्षरों अथवा मात्राओं की संख्या निश्चित नहीं होती है ।
सामवेद गानप्रधान वेद है । इसके ग्रामगान व अरण्यगान प्रसिद्ध हैं । इसी वेद से संगीत की उत्पत्ति मानी जाती है । भगवान् श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में स्वयं को वेदों में सामवेद कहा है – वेदानां सामवेदोऽस्मि ।
अथर्ववेद के कई नाम हैं । यह विभिन्न विषयों को समाहित करता है । इसमें सभी प्रकार के मन्त्र भी पाए जाते हैं । कई विद्वानों ने इसे सबसे महत्वपूर्ण वेद माना है ।
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