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वैदिक वाङ्मय
SANSKRITJAGAT 02/01/2021 | 12:44 AM
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वैदिक वाङ्मय विश्व का प्राचीनतम तथा सबसे गौरवशाली वाङ्मय है । इसके अन्तर्गत निम्नलिखित ग्रन्थ आते हैं ।
- संहिता – प्रायः इसे ही मूल वेद कहा जाता है‚ इसके अन्तर्गत – ऋग्वेद‚ यजुर्वेद‚ सामवेद व अथर्ववेद संहिताएँ आती हैं ।
- ब्राह्मण – ये ग्रन्थ संहिताओं के विस्तार हैं । इन्हें संहिताओं की व्याख्या कह सकते हैंं ।
- आरण्यक – ये कर्मकाण्ड से ज्ञानकाण्ड की ओर उन्मुख करने वाले ग्रन्थ हैं । अत्यन्त गूढार्थ होने के कारण ही इन्हें आरण्यक कहते हैं ।
- उपनिषद् – इसे ही मूलतः ज्ञानकाण्ड कहा जाता है ।
इन ग्रन्थों के अतिरिक्त वैदिक वाङ्मय के अध्ययन के लिये छः वेदांगों की भी व्यवस्था है । इनके नाम क्रमशः निम्न हैं –
- ज्योतिष
- शिक्षा
- व्याकरण
- निरुक्त
- कल्प
- छन्द
इन ग्रन्थों का निर्माण वेदादि ग्रन्थों की परम्परा को अक्षुण बनाए रखने के लिये हुई किया गया । इनमें ज्योतिष को वेद भगवान् का नेत्र‚ शिक्षा को घ्राण‚ व्याकरण को मुख‚ निरुक्त को कान‚ कल्प को हाथ तथा छन्द को वेद भगवान् का पैर कहा गया है ।
इसके लिये प्रचलित श्लोक –
छन्दः पादौ तु वेदस्य‚ हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते
ज्योतिषामयनं चक्षुर्निरुक्तं श्रोत्रमुच्यते ।
शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य मुखं व्याकरणं स्मृतं
तस्मात्साङ्गमधीयानो ब्रह्मलोके महीयते ।।
क्रमशः....
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