ऋक्सूक्त

वरुणसूक्त : ऋग्वेद ०१/२५

  sanskritjagat     02/09/2021 0

ऋक्सूक्त

इन्द्रसूक्त : ऋग्वेद ०१/३२

  sanskritjagat     02/09/2021 0

ऋक्सूक्त

सूर्यसूक्त : ऋग्वेद ०१/११५
  sanskritjagat     02/09/2021

यजुर्वेद सूक्तसंग्रह

शिवसङ्कल्पसूक्त : शुक्ल यजुर्वेद ३४/०१-०६
शिवसङ्कल्पसूक्त : शुक्ल यजुर्वेद ३४/०१-०६
  sanskritjagat     02/09/2021


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माहेश्वर सूत्र पाणिनीय व्याकरण के मेरुदण्ड हैं । इनकी संख्या १४ है । ये चौदह माहेश्वर...

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वेद मन्त्रों के शुद्ध स्वरूप को यथावत् रूप में बनाये रखने के लिए तथा उनके उच्चारण में...

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भारतीय दृष्टि में वेद अपौरुषेय हैं किन्तु पूर्वमीमांसा और बाद में सायणाचार्य की भाष्य...

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भारतीय परम्परा वेदों को अपौरुषेय अर्थात् किसी मनुष्य की कृति नहीं मानती है । मन्त्रों...

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वैदिक साहित्य के महत्व के प्रमुख कारण निम्नलिखित प्रतीत होते हैं – ...